नवरात्रि का मतलब है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना।चैत्र नवरात्रि का पहला दिन हिंदू कैलेंडर का पहला दिन होता है। यह चंद्रमा के शुक्ल पक्ष यानी पूर्णिमा चरण के दौरान आता है। देवी दुर्गा की स्तुति करने के लिए नौ दिनों के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान हर दिन अलग-अलग होते हैं। महाराष्ट्र में इस त्योहार को गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है, जबकि कश्मीर में इसे नवरेह के नाम से जाना जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरूआत घटस्थापना या कलश स्थापना से होती है।
देवी दुर्गा के 9 अवतारों की पूजा की जाती है
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि के साथ नवरात्रि का प्रारंभ शुरू हो जाएंगे। इस बार 8 नहीं बल्कि पूरे 9 दिनों की नवरात्रि पड़ रही है। 9 दिन की नवरात्रि को बड़ा ही शुभ माना जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी पर हो रहा है, जबकि प्रस्थान भैंसे की सवारी पर होना है। ये दोनों ही सवारियां लोगों को सतर्क एवं जागरुक रहने का संदेश देती हैं। घोड़ा युद्ध का प्रतीक है, ऐसे में सत्ता पक्ष को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, भैंसे की सवारी का अर्थ है रोग, कष्ट का बढ़ना। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत के प्रति जागरुक रहने की आवश्यकता है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करने के साथ घटस्थापना की जाएगी। कलश स्थापना को लेकर मान्यता यह है कि इस कलश में सभी तीर्थ और देवी-देवताओं का वास होता है जो मां देवी की आराधना करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है और शांति से पूजा-पाठ संपन्न होती है। घटस्थापना करने के साथ मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:-
चैत्र घटस्थापना तिथि-
2 अप्रैल 2022
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ :-
1 अप्रैल को सुबह 11बजकर 53 पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त :-
2 अप्रैल को सुबह 11बजकर 58 पर
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-
2 अप्रैल सुबह 6 बजे से 8 बजकर 31 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त –
2 अप्रैल सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के लिए संपूर्ण सामग्री:-
मिट्टी का चौड़े मुंह वाला एक कलश, मिट्टी का ढक्कन (पराई) कलश बंद करने के लिए, पराई में भरने के लिए अनाज (चावल, गेहूं), पवित्र स्थान की मिट्टी, सात प्रकार के अनाज, कलश में भरने के लिए साफ जल, थोड़ा गंगाजल, कलश के मुंह में बांधने के लिए कलावा या मौली, सुपारी, आम या अशोक के पत्ते कलश को ढकने के लिए, अक्षत (चावल), जटा वाला नारियल , लाल रंग का कपड़ा नारियल के ऊपर लपेटने के लिए, फूल, फूल माला, दूर्वा, सिंदूर, पान, लौंग, इलायची, बताशा, मिठाई।
घटस्थापना विधि:-
चैत्र नवरात्रि की आरंभ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद मंदिर या फिर जहां पर कलश स्थापना और मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी है उस जगह को साफ कर लें। इसके बाद पवित्र मिट्टी में जौ या फिर सात तरह के अनाज को मिला लें। अब कलश लें और उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बना दें और उसके मुंह में कलावा बांध दें। अब इसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर पानी दें और मिट्टी के ऊपर स्थापित कर दें। इसके बाद आम के पांच पत्तों को रखकर मिट्टी का ढक्कन रख दें और उसमें गेहूं चावल आदि भर दें। इसके बाद लाल रंग कपड़े में नारियल को लपेटकर कलावा से बांध दें और कलश के ऊपर रख दें। इसके बाद भगवान गणेश, मां दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं, नदियों आदि का आवाहन करें। इसके बाद फूल, माला, अक्षत, रोली क्रमश चढ़ाएं। फिर पान में सुपारी, लौंग, इलायची, बाताशा रखकर चढ़ा दें। इसके बाद भोग लगाएं और जल अर्पित कर दें। फिर धूप-दीपक जलाकर कलश की आरती कर लें। इसके साथ ही एक घी का दीपक लगातार 9 दिनों तक जलने दें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की पूजा आरंभ करें। इसी तरह पूरे नौ दिनों तक कलश की पूजा जरूर करें।