सुहागिन महिलाओं के लिए भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि बेहद खास होती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखती है और पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को जब भी कोई लड़की या महिला जब एक बार इसे शुरू कर देती है तो हर साल उसे पूरे नियम के साथ इस व्रत को करना पड़ता है। यानी कि आप इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ सकती हैं।
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हरतालिका तीज 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज तिथि प्रारंभ 09 सितंबर 2021 दिन गुरुवार
प्रात: काल पूजा मुहूर्त- प्रातः 06 बजे से प्रातः 08 बजकर 19 मिनट तक
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त – सायं 06 बजकर 30 मिनट से रात्रि 08 बजकर 35 मिनट तक
तृतीया तिथि प्रारंभ – 08 सितंबर की रात्रि अर्थात 09 सितंबर दिन गुरुवार को प्रातः 02 बजकर 33 मिनट पर
तृतीया तिथि समाप्त – 09 सितम्बर की रात 12 बजकर 18 मिनट
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हरतालिका तीज पूजन विधि
हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यानि कि यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
हरतालिका तीज में पूजन के लिए काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई जाती हैं। उसके बाद उन्हें सजाया जाता है। तथा एक चौकी रखकर उसपर रंगोली बनाई जाती है। इस रंगोली के ऊपर केले के पत्ते रखकर इस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है। इसके बाद कलश की हल्दी और कुमकुम से पूजा की जाती है। बाद में भगवान शिव और गौरी की पूजा करके उनका संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है। फिर व्रती महिलाएं सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाती हैं और भगवान शिव को धोती या फिर तौलिया चढ़ाया जाता है। इसके बाद हरतालिका तीज की कथा पढ़ी जाती है और भगवान शिव-पार्वती और गणेश की आरती की जाती है। पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा भी की जाती है।
इस प्रकार व्रती महिलाएं पूजन के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनती हैं और रात भर जागरण करती हैं। अगली सुबह स्नान के बाद महिलाएं भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करती है साथ ही माता पार्वती पर सिन्दूर चढ़ाती है और अपने व्रत को प्रसाद खाकर पूर्ण करती हैं।
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