ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर एक सेनापती के रुप में दर्शाया गया है। यह ताकत, साहस और पौरुष का कारक है। मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल मकर राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है और कर्क राशि में नीच स्थान प्राप्त करता है। मंगल से संबंधित वस्तुएं जैसे तांबा, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल फूल, चन्दन की लकडी, मसूर की दाल आदि शामिल हैं।
अब जानते है अगर आपका मंगल अशुभ हो तो क्या लक्षण होंगे
- अगर मंगल खराब हो तो व्यक्ति क्रूर और हिंसक स्वभाव का होता है।
- अगर मंगल खराब हो तो व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस की कमी होती है।
- अगर मंगल खराब हो तो व्यक्ति को कारावास भी हो सकता है।
- अगर मंगल खराब हो तो व्यक्ति कर्ज और मुकदमा आदि दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- मंगल खराब हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन भी खराब कर देता है।
- अगर मंगल खराब हो तो घर मे मांगलिक कार्य नही होते।
- मंगल खराब हो तो दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। लगातार चोट चपेट लगती रहती है।
- अगर मंगल खराब हो तो कर्ज चुकाने मे समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- अगर मंगल खराब हो तो व्यक्ति को भाई बहनों का सुख नही मिलता।
अब जानते है अगर आपका मंगल शुभ हो तो क्या लक्षण होंगे
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस होता है।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति उर्जावान होता है।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति मेहनत करने से भागता नही है। व्यक्ति मेहनती होता है।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति को भाई बहनों का सुख अवश्य प्राप्त होता है।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है। इम्यून सिस्टम काफ़ी अच्छा होता है।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति बीमार नही पड़ता।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति निडर होगा। जिसका मंगल अच्छा होगा ऐसा व्यक्ति भयमुक्त होगा।
- अगर मंगल अच्छा हो तो व्यक्ति को संपत्ति का लाभ अवश्य कराएगा।
यदि मंगल अशुभ है तो क्या सरल उपाय करें
- मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए भाई बहनों से संबंध बनाकर रखें।
- मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अपने गुस्से पर काबू रखें।
- मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार का व्रत करे।
- मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए रोज मंगल के मंत्र का जप करे।
- नित्य हनुमान जी की कोई स्तुति या मंत्र का पाठ करें।
- मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए सात्विक आहार ही ग्रहण करें।