नवरात्रि के पावन पर्व पर अष्टमी-नवमी तिथि को हवन करने का विशेष महत्व होता है। हवन के लिए पंडित जी बुलाया जाता है किंतु यदि आप घर पर ही सरल रीति से हवन करना चाहते है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। मैं आपको सरल संछिप्त विधि बताने का प्रयास करूंगा। इस सरल हवन विधि द्वारा आप अपने पूरे परिवार के साथ यज्ञ-हवन करके नवरात्रि पूजन को पूर्णता प्रदान कर सकते हैं।
हवन सामग्री
हवन कुंड, हवन सामग्री, काले तिल, आम की लकड़ी, पल्लव, साबूत चावल, जौ, गुग्गल, बेलपत्र, गुड़, शहद, गाय का घी, कपूर, दीपक, चम्मच, हवन सामग्री मिलाने के लिये बड़ा पात्र, गंगाजल, लोटा, आचमनी, पान के पत्ते, फूल माला, फल, मिष्ठान, देवी को लौंग अत्यंत प्रिय है इसलिए लौंग अवश्य चढ़ाये आदि।
हवन में पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद आसन पर बैठ जाये। अब अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें फिर आचमन करें। इसके बाद हवन पूजन सामग्री को भी गंगा जल से पवित्र कर लें। इसके बाद दीपक प्रज्वलित करें क्योंकि बिना दीपक के कोई पूजा नही होती। दीपक को अक्षत डाल कर स्थापित करे हवन के दौरान बुझे ना इसका ध्यान रखे। चंदन, सिंदूर एवं रोली का तिलक करें साथ ही स्वयं को भी लगाए फिर संकल्प लें। इसके बाद पंचदेव पूजन करें।
इसके बाद आम की लकड़ियों को हवन कुंड में रखे और कपूर की सहायता से जलाये। इसके बाद हाथ अथवा आचमनी से हवन कुंड के ऊपर से 3 बार जल को छिड़काव करें फिर अग्नि देव को प्रणाम करें। अग्नि देव का यथा उपलब्ध सामग्री से पूजन करे। अग्नि देव से प्रार्थना करे है अग्नि देव में जिन देवी देवताओं के निमित्त हवन कर रहा हूँ उनका भाग उनतक पहुचाने का कष्ट करें।
इसके बाद देवताओं के मंत्रों के साथ स्वाहा शब्द अवश्य बोले और हवन कुंड में आहुति प्रदान करें।
– ॐ आग्नेय नम: स्वाहा
– ॐ गणेशाय नम: स्वाहा
– ॐ गौरियाय नम: स्वाहा
– ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा
– ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा
– ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा
– ॐ हनुमते नम: स्वाहा
– ॐ भैरवाय नम: स्वाहा
– ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा
– ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
– ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा
– ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा
– ॐ शिवाय नम: स्वाहा
– ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुते स्वाहा
– ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
– ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
– ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा
ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा
ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा
ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा
ॐ चंद्र घंटा देवी नमः स्वाहा
ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा
ॐ स्कन्द देवी नमः स्वाहा
ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा
ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा
ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा
ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा
दुर्गासप्तशती के किन्हीं 9 मंत्रो की भी कम से कम 5 बार आहुति प्रदान करें।
इन आहुतियों के बाद कम से कम 1 माला नवार्ण मंत्र से आहुति डाले स्वाहा अवश्य लगाएं।
नवार्ण मंत्र
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’
नवार्ण मंत्र से आहुति के बाद साधक गण बची हुई हवन सामग्री को पान के पत्ते पर रखकर अग्नि में घी की धार बना कर छोड़ दे तथा हाथ मे जल लेकर हवन कुंड के चारो तरफ घुमाकर जमीन पर छोड़ दे इसके बाद माता की आरती करें सामर्थअनुसार दक्षिणा चढ़ाये फिर क्षमा प्रार्थना करें। इसके बाद कटोरी वाले जल को पूरे घर मे छिड़क दें।