पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का ये सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। पितृ पक्ष में व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त अपने सामर्थ के अनुसार दान आदि करके पितरो का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
यदि पितृ दोष होगा तो यह लक्षण होना स्वाभाविक है :
- घर में सुख नही आता है।
- व्यक्ति के घर में लगातार धन की कमी बनी रहती हो तो वह व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित हो सकता है।
- घर में अजीब सा सूनापन बना रहता है।
- वंश वृद्धि मे कठिनाई होती है।
- परिवार में हमेशा कलह का वातावरण बना रहना भी पितृदोष की तरफ इशारा करता है।
- सेहत हमेशा खराब ही रहती है।
- संतान सुख में समस्या रहती है।
- घर में पेड़ पौधे पनपते नही है।
- घर मे पशु पक्षी भी नही टिकते है।
- पितृ दोष से पीड़ित होने पर संघर्ष बहुत ज्यादा करना पड़ता है।
- नौकरी अथवा व्यवसाय में हानि होती है, बरकत भी नही होती।
- घर के युवक-युवतियों का विवाह न होना या विवाह में विलंब होना।
- मांगलिक कार्यों में विघ्न होना।
पितृ दोष होने के कारण :
- जिन परिवारों में लोग अपने पितरों की पूजा और श्राद्ध नहीं करते हैं, उन्हें पितृदोष लग जाता है।
- जो लोग बुजुर्गों का अपमान किया करते है और साथ ही गाय को कष्ट देते है उन्हें भी पितृ दोष प्रभावित करता है।
- घर में किसी को प्रेत-बाधा होना इत्यादि।
- घर मे चार दरवाजे हो चारो दिशाओं में।
- घर के मध्य भाग में जल का स्त्रोत होना।
पितृ दोष के उपाय :
- पितृपक्ष में विधिवत तर्पण, श्राद्ध करें।
- अमावस्या को पितरों के निमित्त दान अवश्य करें।
- गाय, कुत्ते, पक्षी को कुछ खाने के लिए अवश्य दें।
- सम्भव हो तो पितृ दोष की शांति अवश्य करवा लें।
- घर में भगवत गीता जी का पाठ नित्य करें।
- पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करे।
- ब्राह्मण एवं निर्धन व्यक्ति को अन्नदान करें।
- दोनों समय घर मे भगवान की पूजा अवश्य करें।